
कालसर्प दोष पूजा को कालसर्प योग भी कहा जाता है। कालसर्प पूजा तब होती है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं|कालसर्प हानि, बाधा को सूचित करता है. कुंडली में कालसर्प होने से कितने लोगो को कष्ट हुवा है|कालसर्प पूजा दोष निवारण के लिए की जाने वाली पूजा व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी की जा सकती है|
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के द्वादश भाव में मंगल दोष होने से वैवाहिक जीवन के साथ ही शारीरिक क्षमताओं में कमी, रोग द्वेष और कलह-क्लेश को जन्म देता है. मंगल दोष होने से व्यक्ति का स्वभाव गुस्सैल, क्रोधिक और अहंकारी हो जाता है. ससुराल पक्ष से रिश्ते खराब होने या बिगड़ने की वजह भी मंगल दोष होता है|
पितृ दोष' शब्द का अर्थ पूर्वजों के नकारात्मक कर्म ऋण या किसी व्यक्ति द्वारा अपने माता-पिता के खिलाफ किए गए किसी भी गलत काम से है, जो उनके वंशजों के जीवन में बाधाएं और परेशानियां लाता है। यह तब भी होता है जब हमारे पूर्वज अपर्याप्त अनुष्ठानों, अनादर या अधूरी इच्छाओं जैसे कुछ कारणों से नाखुश होते हैं।
कालसर्प दोष पूजा के अलावा ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक कृष्ण शास्त्री ( कृष्णागुरु) जी ने नवग्रह शांति, मंगलभात पूजा, मंगलशांति पूजा, रुद्राभिषेक, ग्रह दोष निवारण, जैसे अनुष्ठानों को सम्पूर्ण वैदिक पद्धति द्वारा संपन्न किया है | इसके अतिरिक्त ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक कृष्ण शास्त्री( कृष्णागुरु), महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते हैं, ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक कृष्ण शास्त्री( कृष्णागुरु) जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन अवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त हैं, इन समस्त कार्यों के साथ-साथ ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक कृष्ण शास्त्री( कृष्णागुरु) जी पुत्रप्राप्ती के लिए विशेष पूजन किया जाता है तथा वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापार, व्यवसाय बाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते हैं।
दोष निवारणार्थ अनुष्ठान, मंगल दोष निवारण (भातपूजन), सम्पूर्ण कालसर्प दोष निवारण, नवग्रह शांति, वास्तु दोष शांति, द्विविवाह योग शांति, नक्षत्र/योग शांति, रोग निवारण शांति, समस्त विध्न शांति, विवाह संबंधी विघ्न शांति, नवग्रह शांति, कामना पूर्ति अनुष्ठान, भूमि प्राप्ति, धन प्राप्ति, शत्रु विजय प्राप्ति, एश्वर्य प्राप्ति, शुभ (मनचाहा) वर/वधु प्राप्ति, शीघ्र विवाह, सर्व मनोकामना पूर्ति, व्यापार वृध्दि, रक्षा कवच, अन्य सिद्ध अनुष्ठान एवं पूज, पाठ, जाप एवं अन्य अनुष्ठान, दुर्गासप्तशती पाठ, श्री यन्त्र अनुष्ठान, कुम्भ/अर्क विवाह, गृह वास्तु पूजन, गृह प्रवेश पूजन, देव प्राण प्रतिष्ठा, रूद्रपाठ/रूद्राभिषेक, विवाह संस्कार
कालसर्पयोग का विधान भारत मे दो जगह पर होता है नासिक ओर उज्जैन |
उज्जैन में इसका महत्व इसलिए हे कि बाबा महाकाल के चरणों मे ओर शिप्रा मोक्षदायिनी के तट पर निवारण होता है।
कालसर्प शांति करने से 9 विभिन्न प्रकार के सांपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कालसर्प शांति पूजा के साथ राहु और केतु पूजा सफलता के द्वार खोलती है। नाग की सोने की मूर्ति की पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।